Search This Blog

Wednesday, January 20, 2016

खुदा खै़र करें ---

                                  
अपने हाथों को उठाकर के इबादत में वो
नाम मेरा ही लें लेतें हैं,खुदा खै़र करें
नासमझ है वो,समझते नहीं ये बात ग़लत
नाम मेरा ही ले लेतें है, खुदा खै़र करें

कैसें समझाऊँ,कैसें समझाऊँ

वो कहतें हैं मुझे ,चाँद में तुम दिखते हो
गुले-गुलज़ार,गुलाबी शाम में तुम दिखते हो
हवा के झोंकों में भी रहते हो,तुम शामिल

कैसें समझाऊँ ,कैसे समझाऊँ

वो कहतें हैं,हसीं रात में तुम दिखते हो
मेरी बेचैनियाँ जज़्बात में तुम दिखते हो
मेरी साँसों के एक-एक तार में हो तुम शामिल

कैसें समझाउँ,कैसें समझाऊँ

मुझसे कहतें है
कितनी दूर तलक जाओगे
इतनी बढ़ जाएंगी बेचैनियाँ
कि खींचे चले आओगे और
खुद ही कहोगे ,तेरे जीवन में हूँ शामिल

कैसे समझाऊँ,कैसे समझाऊँ

देखकर उनकी अदा़
मैं ख़ुद बहक जाती हूँ
आँखें बंद कर
उनकी बाँहों में सिमट जाती हूँ
शर्म से हो जातीं हैं मेरी आँखें बोझिल

कैसे समझाऊँ,कैसे समझाऊँ !!!

                               
                              




No comments:

Post a Comment