वैसे तो कमी हर किसी की ज़िंदगी में है
ठोकर खाकर सँभाल ले जो कदम
अक्लमंदी इसी में है
जानते हुये भी सबकुछ लोग
मंज़िल से भटक जाते हैं
शायद इसी को कहते है "नसीब "
लिखवा कर जो ऊपर से लातें हैं !!!
ठोकर खाकर सँभाल ले जो कदम
अक्लमंदी इसी में है
जानते हुये भी सबकुछ लोग
मंज़िल से भटक जाते हैं
शायद इसी को कहते है "नसीब "
लिखवा कर जो ऊपर से लातें हैं !!!
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