हुस्न ने फिर पर्दा किया है
नज़रें इनायत क्या होगी
पलकें उठाकर,नज़रें झुकाना
उफ़ तौबा मेरी जाँ लेगी
क्यों रूठें हैं,क्या चाहते हैं
कुछ भी ना मुझको बतायें ऽऽऽ
मेरी तरफ बस देख के संगदिल
बेवज़ह ही मुस्कुराये
हुस्न ने फिर दिखाई हैं अदायें
मेरी वफ़ायें क्या होगी
पलकें उठाकर,नज़रें झुकाना
उफ़ तौबा मेरी जाँ लेगी
मौसम सुहाना,दिल दिवाना
कैसे हम उनको बतायें ऽऽऽ
नज़रों की बातें वो पढ़ नहीं पाते
होंठो से क्या समझायें
हुस्न ने फिर की है शरारत
मेरी हालत क्या होगी
पलकें उठाकर,नज़रें झुकाना
उफ़ तौबा मेरी जाँ लेगी
उनको मुझसे है,मुझको उनसे है
बेपनाह मोहब्बत
फिर इन अदाओं से,क्यों करते हैं
वो अक्सर मुझे घायल
हुस्न ने फिर माँगीं हैं दुआँए हाय ऽऽऽ
कोई क़यामत क्या होगी
पलकें उठाकर,नज़रें झुकाना
उफ़ तौबा मेरी जाँ लेगी !!!
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