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Thursday, January 14, 2016

आमने-सामने यूँ ही-------

आमने-सामने यूँ हीं बैठें रहें
वास्ता दिल से दिल का निकल जाएगा
शोख़ नज़रें हैं मेरी मेरे हमनफ़स
मैं शमा बन गई तो तू जल जाएगा
तू शमा है तो मैं भी तो परवाना हूँ
जल गया तो भी दिल में उतर जाएगा
हसीना हूँ हज़ारो पड़े हैं राहों में
कोई बेगाना कैसे मेरा बन जाएगा
मैं हूँ मंज़िल तुझे पास आना ही है
खो गया तो दिल मुश्कि़ल में पड़ जाएगा
अपनी तक़दीर पे इतना न इतराईयें
दिल जो टूटा तो जान पे बन जाएगा
हर एक शर्त मंज़ूर है हमें प्यार में
तेरा साथ होगा तो सफ़र कट जाएगा
मुझको मंज़ूर है तेरी चाहत सनम
दिल्लगी की न जाना तू रूठ जाएगा !!!


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