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Saturday, February 27, 2016

वतन तुझपे दिल कुर्बान

अपनी मातृभूमि के लिए हम
अपने दिल में वो जज़्बा रखते हैं
अपने बुलंद इरादों से हम
आँसमा को भी झुका सकते हैं
एक गोली तो दुश्मन की
कम कर देंगें ही अये दोस्तों
हम महिलायें हैं तो क्या हुआ
वतन पे मर- मिटने का हौंसला
हम भी रखते हैं
सनम से ज्यादा अपने वतन पे मरते हैं
नमक खाया है जिस देश का
उससे नमकहरामी नहीं कर सकते हैं
एक बार आजमा के देख लेना अहले वतन
हँसते- हँसते ये प्राण भी
निछावर कर सकते हैं
उन गद्दारों की हम क्या बात करे जो
जिस देश का खाते हैं
उसी को बुरा बतलाते हैं
शायद जन्म देने वाली माता के लिए भी
उनके दिल मे कोई जज़्बात ना हो
तभी तो मातृभूमि में रहकर
दुसरे मुल्कों का गुनगान गाते हैं
अये माते जन्मभूमि
ये आँखें खोलना भी सीखा है
मैने तेरी गोद में
साँसे लेना,हँसना,मुस्कराना
जीवन के हर उतार- चढ़ाव में
तुम  मेरे साथ थी
कैसे उतार सकती हूँ ये कर्ज तुम्हारा मैं
पूरा जीवन समर्पित तुमपे
आँखो में आँसू आ आते हैं
जब किसी शहीद की अर्थी देखती हूँ
जाने वे किसके लाल होंगें
मन में यही सोचती हूँ
एकबार उनके क़दमों में
सिर झुकाने की तमन्ना होती है
कैसी दिखती होगी उसकी माँ
नज़रों में भारत माता की
तस्वीर उभरती है !!













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