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Friday, February 12, 2016

इतना तो सनम मुझे आता नहीं

शब्दों को सँजाकर पेश करू
इतना तो सनम मुझे आता नहीं
जु़बा से बोल देता हूँ दिल की बातें
आसान है ये समझना भी समझाना भी
कुछ बातों को पर्दा दिजिए
बढ़ जाती है उसकी ख़ुबसूरती
पन्नों पर लिखी कुछ बातों की
अलग ही अहमियत होती है कभी-कभी
अब कौन करे मेहनत इतनी
पहले सोचे फिर पन्नों पे लिखे
आओ बैठो तुम पहलू में
कह देता हूँ सारी बातें यहीं
बड़ी बेशर्म आपकी ये चाहत है
क्या जानते नहीं बातें ये भी
लोग आसमां से तारे तोड़कर
लाने की बातें करते है
आप इतनी-सी बात न मान पाये मेरी
मैंने क्या सौ बार मोहब्बत की है
जो माहिर हूँ हर मुआमले में
बस ढ़ाई अक्षर की बात तो है
मैं थक गया,सुन लो न हसीं
ओह,हार गई मैं भी समझा कर
कह डालो  मन की बातें यहीं
मगर याद रखना
बहुत शिद्दत से निभानी पड़ती है
प्यार ,रिश्ते या फिर दोस्ती !!




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