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Tuesday, July 12, 2016

कौन है मेरा-मेरा

झुमती चली हवा
घिर गई घटा-घटा
कुछ जो टुटा खो गया
धुँध से घिरा-घिरा

वो बसा के आँखों में
दे गया सज़ा-सज़ा
कैसे बोलू बेवफा
ख़ुद से है गिला-गिला

याद आई वो वफा
दर्द मे डुबा-डुबा
देखती हूँ दिल का जख़्म
था बहुत हरा-हरा

अंधेरे ही अंधेरे अब
जिंदगी पीड़ा-पीड़ा
दर्द का सागर निकल
आँखों से बहा-बहा

जिंदगी का बोझ अब
जाता नहीं सहा-सहा
मर भी जाऊँ क्या हुआ
कौन है मेरा-मेरा !!

                                

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