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Sunday, July 17, 2016

वक़्त वक़्त की बातें

                                                                   

वक़्त से थोड़ा,वक़्त माँगा
हसीन वक़्त गुज़ारने के लिए
वक़्त ने बोला वक़्त नहीं है
कल मिलना आकर के गले

वक़्त ने देखा भाग रहे सब
वक़्त पकड़ने के लिए
वक़्त हँसा हँसकर मुस्काया
वक़्त के आगे किसका चले

वक़्त दिखाये कितनो को दर्पण
वक़्त ने राजा रंक किये
वक़्त बुरा होता है उनका
जो वक़्त की न अहमियत समझे

वक़्त ने जोड़े कितने दिल फिर
तोड़ के टुकड़े टुकड़े किये
वक़्त ने डाले आँखो मे आँसू
तो गहरे जख़्म भी वक़्त ने भरे

वक़्त दिखाये कितने सपने
तोड़ के फिर दिल चल दिये
वक़्त से पहले भाग्य से ज्यादा
मिलता नही कोई कुछ कर ले

वक़्त पहचान कराते अपने
वक़्त दिखाता असली चेहरे
वक़्त बुरा तो परछाई भी साथ छोड़ दे
कौन किसे फिर अपना कहे

वक़्त से सीखे वक़्त की बातें
वक़्त चले तो हम चल दिये
बंद मुट्ठी ले आये थे जग में
हाथ पसारे वक़्त पे चल दिये !!










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