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Wednesday, September 21, 2016

कौन जाना चाहें मैखाना

                                
सामने वो थी पीछे मैखाना
जान मुश्किल में थी ये अब जाना

इक तरफ वो बुला रही थी मुझे
छलक रहा था पीछे पैमाना

इक शबाब का नशा था यारो
शराब का कम नहीं था उसकाना

दिल बहकने लगा जब मेरा
नशा क्या होता है ये तब जाना

साक़ी थोड़ा शराब पीने दे
कि होश मे ना रहे ये दिवाना

यूँ निगाहों से ना पिलाया कर
बड़ा कातिल है तेरा मुस्काना

तू जो चाहे ना देखू मैखाना
जान हाजिर भरूँगा हर्जाना

है मुहब्बत के सिवा कुछ भी नही
और क्या दूँ मै तुझे नज़राना

यूँ झील-सी आँखो मे ना डुबाया कर
तैरना जानता नहीं परवाना

इतना नशा है तेरी इन आँखों में
कौन जाना चाहें मैखाना

मौसम हो रहा है आशिकाना
तेरी आँखों मे दिख रहा पैमाना

                                                          







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