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Thursday, October 27, 2016

दिल मे आग-सी लगा दी है

                               
दिल में इक आग-सी लगा दी है यार ने
प्यार करने  की  ये सज़ा दी है  यार  ने

आने लगा मजा,ख़ुद से बातें करने का
मर्ज़ ये  कौन सी  लगा दी  है  यार  ने

कभी हँसते ख़ुद , कभी परेशां  होते
बेख़ुदी  कैसी ये बढ़ा  दी  है  यार  ने

बज़्म में भी निगाहें सिर्फ उसे ढूंढ़ती हैं
ऐसी  बेचैनियाँ  समा  दी  है  यार  ने

झूम के चली हवा, दिल को गुमां हुआ
रूख पे  जुल्फे  बिखरा दी  है  यार  ने

उसकी हाँ  में हाँ है उसकी ना में ना है
दवा ये कहाँ की पिला दी  है  यार  ने

माना शामिल हैं हम,उसकी नादानियों में
जादू की तीर जो चला दी है यार  ने

लफ़्जो से खेलने की,आदत है उसकी
शब्द को जोड़कर दुआ  दी  है यार ने

                                



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